Rahat indori shayari collection in hindi
1- कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया,
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया,
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया,
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया,
रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया,
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया,
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया,
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया,
इस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया,
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया,
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया,
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया,
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया…. !!
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया…. !!
-Dr. Rahat Indori
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2- सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे,
वो शख्स मुझ को कोई जालसाज़ लगता हैं
तुम उसको दोस्त समझते हो फिर भी ध्यान रहे,
तुम उसको दोस्त समझते हो फिर भी ध्यान रहे,
मुझे ज़मीं की गहराइयों ने दबा लिया
मैं चाहता था मेरे सर पे आसमान रहे,
मैं चाहता था मेरे सर पे आसमान रहे,
Rahat indori
अब अपने बिच मरासिम नहीं अदावत है
मगर ये बात हमारे ही दरमियाँ रहे,
मगर ये बात हमारे ही दरमियाँ रहे,
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई
मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे,
मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे,
वो एक सवाल है फिर उसका सामना होगा
दुआ करो की सलामत मेरी ज़बान रहे…!!
दुआ करो की सलामत मेरी ज़बान रहे…!!
-Dr. Rahat Indori
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3- बुलाती है मगर जाने का नईं
बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं,
मगर हद से गुजर जाने का नईं,
सितारें नोच कर ले जाऊँगा
में खाली हाथ घर जाने का नईं,
में खाली हाथ घर जाने का नईं,
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं,
अभी माहौल मर जाने का नईं,
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं,
मगर जालिम से डर जाने का नईं,
नईं – नईं का मतलब पुरानी उर्दू में नहीं होता है
वबा – महामारी…!!
वबा – महामारी…!!
-Dr. Rahat Indori
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Rahat Indori Shayari in Hindi
4- अंदर का ज़हर चूम लिया, धूल के आ गए
अंदर का ज़हर चूम लिया, धूल के आ गए
कितने शरीफ लोग थे सब खुल के आ गए,
कितने शरीफ लोग थे सब खुल के आ गए,
सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ
सारे सिपाही माँ के थे घुल के आ गए,
सारे सिपाही माँ के थे घुल के आ गए,
मस्जिद में दूर दूर कोई दुसरा न था
हम आज अपने आप से मिल जुल के आ गये,
हम आज अपने आप से मिल जुल के आ गये,
नींदो से जंग होती रहेगी तमाम उम्र
आँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के आ गए,
आँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के आ गए,
सूरज ने अपनी शक्ल भी देखि थी पहली बार
आईने को मजे भी मुक़ाबिल के आ गए,
आईने को मजे भी मुक़ाबिल के आ गए,
अनजाने साये फिरने लगे हैं इधर उधर
मौसम हमरे शहर में काबुल के आ गये..!!
मौसम हमरे शहर में काबुल के आ गये..!!
-Dr. Rahat Indori
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5- समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है
समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है,
जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है,
ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है,
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है,
वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाजों में
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है,
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है,
ये लोग पांव नहीं जेहन से अपाहिज हैं
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है,
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है,
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